लेखनी प्रतियोगिता -11-Aug-2023 "यादों की संदूकिया"
"यादों की संदूकिया "
आज फिर एक खता की मैंने
बड़ी खामोशी से....
वो जो यादों की संदूकियाँ
कई वर्षों से बंद पड़ी थी
आज जाने क्यों खोल कर बैठ गए
खोलते ही उंगलियां हौले से
धूल से जमी उस पुरानी डायरी पर गई
उसको स्पर्श करते ही....
ऐसे लगा जैसे किसी के दिल पर हाथ रखा हो
जो बहुत दिनों से सोया पड़ा था
किसी के इंतज़ार में.....
उसको उठाते ही हाथों में,
धड़कनों की रफ्तार समुंद्र की लहरों सी
ऊपर नीचे होती कहीं खो गई
कि तभी....
डायरी का पेज खुला
उसमें रखा वो गुलाब का फूल
सूखा, मुरझाया, बेरंग, बेजान
और सकुचाया सा....
डायरी के पन्नों के बीच
बीती दास्तां बयां कर रहा,
ऐसा लगा जैसे मेरी हंसी उड़ाता हुआ
पूछ रहा हो जानती हो मुझे..!!
क्या जानती हो मुझे...??
मेरे कंपकपाते हाथों ने
डरते - डरते उंगलियों से.....
उस फूल की डंडी को स्पर्श किया
और उठाते हुए अपने होठों से चूम लिया
ऐसा लगा....
जैसे उसका दिल मेरे अंदर धड़कने लगा हो
और कह रहा हो सखा हूं तुम्हारा
जानती हो कॉलेज के दिनों में
किताबों के बीच में रखकर मुझे
हर तरफ घूमती थी.....
कभी चूमती तो कभी बंद करके
किताबों के बीच छुपा देती
कभी हाथ में लेकर झूमने लगती
वहीं सखा हूं तुम्हारा
पहचानों मुझे.....
कहां गुम हो गई
सुन रही...हो मेरी धड़कनों की आवाज़ को,
में ही हूं....मैं ही वहीं गुलाब का फूल
जिसे तुमने कितने वर्षों से....
अपनी यादों के संदूकियाँ में कैद करके रख दिया
किसी डर किसी पर भय से....
जिंन हाथों से उसे उठाया था मैंने
बीती यादों का कोई कांटा
कहीं इस हथेली में चुभ ना जाए
इसी भय से उस फूल को
डायरी के पन्नों के बीच
दफ़ना दिया
फिर उस पर वर्तमान का ताला लगाकर
कैद कर जज़्बातों की जंजीरों से
बंद कर मन की तिजोरीतिजोरी में
लौट आई फ़िर एक बार
यथावत स्थिति में....!!
मधु गुप्ता "अपराजिता"
Milind salve
12-Aug-2023 12:40 PM
Nice
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Madhu Gupta "अपराजिता"
12-Aug-2023 01:04 PM
Thank u so much
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Gunjan Kamal
12-Aug-2023 08:07 AM
वाह बहुत खूब
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Madhu Gupta "अपराजिता"
12-Aug-2023 08:30 AM
तह दिल से शुक्रिया 🙏🙏🙏
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